सुनो.. ना किया करो

सुनो.. ना किया करो इतनी मोहब्बत हमसे.. कि मुझे खुद की फ़िक्र करने की आदत पड़ जाये..

ज़माना फूल बिछाता था

ज़माना फूल बिछाता था मेरी राहों में जो वक़्त बदला तो पत्थर है ,अब उठाए हुए

लफ्ज तेरे मिठे ही

लफ्ज तेरे मिठे ही लगते है.. आंख पढु तब दर्द समझ आता है..

उनकी महफ़िल में

उनकी महफ़िल में हमेशा से यही देखा रिवाज़…. आँख से बीमार करते हैं, तबस्सुम से इलाज़।।

आ भी जाओ

आ भी जाओ मेरी आँखों के रूबरू अब तुम, ख़्वाबों में तुझे और कितना तलाशा जाए !!

तासीर किसी भी

तासीर किसी भी दर्द की मीठी नहीँ होती गालिब. , वजह यही है कि आँसू भी नमकीन होते है..

अगर तुम समझ पाते

अगर तुम समझ पाते मेरी चाहत की इन्तहा….. तो हम तुमसे नही…. तुम हमसे मोहब्बत करते!!!!

किस किस तरह से

किस किस तरह से छुपाऊँ तुम्हें मैं, मेरी मुस्कान में भी नज़र आने लगे हो तुम….

रोकना मेरी हसरत थी

रोकना मेरी हसरत थी । और जाना उसका शोक … . वो अपना शोक पूरा कर गया । मेरी हसरते तोड़ कर …

कोई कहता है

कोई कहता है प्यार नशा बन जाता है! कोई कहता है प्यार सज़ा बन जाता है! पर प्यार करो अगर सच्चे दिल से, तो वो प्यार ही जीने की वजह बन जाता है

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