ख़्यालात का रंग

ये शहर शहरे-मुहब्बत की अलामत था कभी इसपे चढ़ने लगा किस-किस के ख़्यालात का रंग|

हाथ मिलते ही

हाथ मिलते ही उतर आया मेरे हाथों में कितना कच्चा है दोस्त तेरे हाथ का रंग |

तेरा भी अहसान

ऐ ज़िंदगी.. तेरा भी अहसान..क्यों रखा जाए, तू भी ले जा..इस खाक से..हिस्सा अपना…..॥

छोड़ जाने का गम नहीं

यूँ तो मुझे किसी के भी छोड़ जाने का गम नहीं बस, कोई ऐसा था जिससे ये उम्मीद नहीं थी..

फ़न तलाशे है

फ़न तलाशे है दहकते हुए जज़्बात का रंग देख फीका न पड़े आज मुलाक़ात का रंग |

ऐसा तराशा है

तकलीफों ने ऐसा तराशा है मुझको… हर गम के बाद ज्यादा चमकता हूँ..

वक्त इंसान पे

वक्त इंसान पे ऐसा भी कभी आता है राह में छोड़ के साया भी चला जाता है|

खेत सूखे सूखे से थे

जिसके खेत सूखे सूखे से थे.. पानी,उसी की आँखों में नजर आया….!!!

फ़न तलाशे है

फ़न तलाशे है दहकते हुए जज़्बात का रंग देख फीका न पड़े आज मुलाक़ात का रंग|

ऐसा तराशा है

तकलीफों ने ऐसा तराशा है मुझको… हर गम के बाद ज्यादा चमकता हूँ..

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