आशियाने बनें भी

आशियाने बनें भी तो कहाँ जनाब… जमीनें महँगी हो चली हैं और दिल में लोग जगह नहीं देते..!!

रहते हैं साथ-साथ

रहते हैं साथ-साथ मैं और मेरी तन्हाई करते हैं राज की बात मैं और मेरी तन्हाई दिन तो गुजर ही जाता है लोगो की भीड़ में करते हैं बसर रात में मैं और मेरी तन्हाई !!

अपनी मुस्कुराहट को

अपनी मुस्कुराहट को जरा काबू में रखिए, दिल ए नादान कहीं इस पे शहीद ना हो जाए…

रात को जीत तो पाता नहीं

रात को जीत तो पाता नहीं लेकिन ये चराग़ कम से कम रात का नुक़सान बहुत करता है|

चाहें कितनी भी

चाहें कितनी भी कर लो… इश्क़ में सौ ग्राम मुहब्बत हमेशा कम रह ही जाएगी !!!

हम भी दरिया हैं

हम भी दरिया हैं, हमें अपना हुनर मालूम है; जिस तरफ़ भी चल पड़ेगे, रास्ता हो जाएगा।

वो रखती है

वो रखती है खुद को सबसे छुपाकर…. शायद वो भी खुद को अमानत समझती है मेरी….

तेरे ख़्यालों की

बारिश है तेरे ख़्यालों की … महकी महकी दिल की जमीं है !!

तेरा ही जिक्र होता है

तेरा ही जिक्र होता है हर एक अल्फाज में मेरे.. वो भी इस सलीके से कि, कहीं तू बदनाम ना हो जाए..!!

मुझ से ही रूठ कर

मुझ से ही रूठ कर मुझे ही याद करते हो… . तुम्हें तो ठीक से नाराज़ होना भी नहीं आता|

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