हमने आज खुद को

हमने आज खुद को आज़माने की कोशिश की, मोहब्बत से दिल को बचाने की कोशिश की.

हैं तो रिमझिम..

हैं तो रिमझिम.. फुहार से… जनाब की यादें.. मगर मूसलाधार हैं…

हम दिलफेक आशिक़ है

हम दिलफेक आशिक़ है, हर काम में कमाल कर दे क्या जरुरत है जानू को लिपस्टिक लगाने की हम चूम के ही होंठ उसके लाल कर दे

कतरा कतरा मेरे

कतरा कतरा मेरे हलक को तर करती है मेरी रग रग में तेरी मुहब्बत सफर करती है…

तुम सावन का महीना

तुम सावन का महीना हो मै तुझपे छाया हूँ झूले की तरह|

इज़ाज़त हो तो

इज़ाज़त हो तो लिफाफे में रख कर, कुछ वक़्त भेज दूं…… सुना है कुछ लोगों को फुर्सत नहीं है, अपनों को याद करने की!

कब आ रहे हो

कब आ रहे हो मुलाकात के लिये. हमने चाँद रोका है एक रात के लिय|

अपनी बाँहों में

अपनी बाँहों में ले के सोता हूँ, मैंने तकिये का नाम ‘तुम’ रखा है..

लाख कसमें ले लो

लाख कसमें ले लो किसीसे, छोड़ने वाले छोड़ ही जाते है !!

मेरी फ़ितरत कि

मेरी फ़ितरत कि मैं खिल जाता हूँ बे-मौसम भी मेरी आदत कि मैं मजबूर नहीं हो सकता !

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