फूलों को सजाकर

जुल्फों में फूलों को सजाकर आई है चेहरे से दुपट्टा उठा कर आइ है किसी ने पूछा आज बहुत खूबसूरत लग रही हो तो मैंने कहा शायद आप नहा कर आई है|

इतनी चाहत से न देखा

इतनी चाहत से न देखा कीजिए महफ़िल में आप, शहर वालों से हमारी दुशमनी बढ़ जायेगी..

तौबा ईश्क से

हम नहीं करते तौबा ईश्क से,ईश्क तो हमारा पेशा है!! वो ईश्क ही क्या जिसमें यार बेवफा ना हो!!

बेवफा लोगो को

बेवफा लोगो को हमसे बेहतर कोन जानेगा , हम तो जले हुवे कागजों से भी अल्फाज़ पढ़ लिया करते है|

बेवफ़ाई की ठोकर

जब तक ना लगे बेवफ़ाई की ठोकर.. हर किसी को अपनी पसंद पर नाज़ होता है.!!

घोंसले की फिक्र

घोंसले की फिक्र नें कैदी बनाकर रख दिया.. पंख सलामत थे मेरे पर मैं उड़ न सका…!!

बिना मतलब के अल्फ़ाज़

तुम बिन कुछ यूँ हूँ मैं… जैसे बिना मतलब के अल्फ़ाज़

चैन से रहने का

चैन से रहने का हमको यूं मशवरा मत दीजिये, अब मज़ा देने लगी हैं ज़िंदगी की मुश्किलें…!!

उसकी हरकतों से

उसकी हरकतों से ये लगा वो अमीर है नया नया, सिक्का एक फ़कीर को उसने जब उछाल कर दिया

आंसुओं में जिंदगी को

मत बहा आंसुओं में जिंदगी को, , एक नए जीवन का आगाज़ कऱ, , दिखानी है अगर दुश्मनी की हद तो, , जिक्र भी मत कर, नज़र’अंदाज़ कर

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