मुझे ज़िंदगी दूर रखती है तुझ से जो तू पास हो तो उसे दूर कर दूँ|
Category: प्यार शायरी
कितना आसाँ था
कितना आसाँ था तेरे हिज्र में मरना जानाँ फिर भी इक उम्र लगी जान से जाते जाते|
गुमान न कर
गुमान न कर अपनी खुशनसीबी का.. नशीबी मे होगा तो तुझे भी इश्क होगा..
हमारे ऐतबार की हद
मत पुछ हमारे ऐतबार की हद तेरे एक इशारे पे.. हम काग़ज़ की कश्ती ले कर समंदर में उतर गये थे..
बस इतनी सी बात
बस इतनी सी बात समंदर को खल गई एक काग़ज़ की नाव मुझपे कैसे चल गई..
ना जाने कितनी बार
ना जाने कितनी बार अनचाहे किया है सौदा सच का, कभी जरुरत हालात की थी और कभी तकाज़ा वक़्त का|
ज़रूरतों ने उनकी
ज़रूरतों ने उनकी, कोई और ठिकाना ढूंढ लिया शायद, एक अरसा हो गया, मुझे हिचकी नहीं आई|
आज मेरे किरदार मे…
चन्द खोटे सिक्के जो खुद कभी चले नही बाजार मे… वो भी कमिया खोज रहे है आज मेरे किरदार मे…
दीवाने होना चाहते हैं
सब इक चराग़ के परवाने होना चाहते हैं… अजीब लोग हैं दीवाने होना चाहते हैं|
छोटा मत समझना
एकबात याद रखना कभी किसी को छोटा मत समझना।