रहती है छाँव

रहती है छाँव क्यों मेरे आँगन में थोड़ी देर, इस जुर्म पर पड़ोस का वो पेड़ कट गया

गुज़ारी न जा सकी

जो गुज़ारी न जा सकी हम से हम ने वो ज़िंदगी गुज़ारी है ………..

आख़िरी हदों में

इश्क़ की आख़िरी हदों में हूँ राख़ हूँ और जल नहीं सकता !

आईना देख कर

आईना देख कर वो,मुस्कुरा के बोली…… बे-मौत मरेंगे…… मुझ पर मरने वाले…

कितना मुश्किल है

कितना मुश्किल है ज़िन्दगी का ये सफ़र; खुदा ने मरना हराम किया, लोगों ने जीना

बदलो के बीच

ना जाने बदलो के बीच, कैसी साजिश हुयी ….. मेरा घर था मिटटी का, मेरे ही घर बारिश हुयी

मोहब्बत का नतीजा

मोहब्बत का नतीजा दुनिया में हमने बुरा देखा; जिनका दावा था वफ़ा का उन्हें भी हमने बेवफा देखा।

लाख तलवारे बढ़ी

लाख तलवारे बढ़ी आती हों गर्दन की तरफ; सर झुकाना नहीं आता तो झुकाए कैसे।

इश्क़ और तबियत

इश्क़ और तबियत का कोई भरोसा नहीं, मिजाज़ से दोनों ही दगाबाज़ है, जनाब।

जब भी बात करो

जब भी बात करो,मुस्कुराया करो | जैसे भी रहो,खिलखिलाया करो | जो भी हो दर्द,सह जाया करो | ज्यादा हो,तो किसी से कह जाया करो | जीवन एक नदी है,इसमे बहते जाया करो | ऊँच नीच होगी राह में,इनसे उबर जाया करो | अपनापन जहाँ महसूस हो,स्वर्ग वहीं पाया करो | बहुत सुंदर है यह… Continue reading जब भी बात करो

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