कितने संगदिल हैं

कितने संगदिल हैं वो, मुझे बेज़ार रुलाने वाले… देखो चैन से सो रहे हैं मुझे उम्र भर जगाने वाले…

ये जो मेरे दिल की

ये जो मेरे दिल की लगी है… बस यही तो बर्बाद ज़िंदगी है…

हम ही उस के

हम ही उस के इश्क़ के क़ाबिल न थे क्यूँ किसी ज़ालिम का शिकवा कीजिए|

चल पडी है

चल पडी है मेरी दुआए असर करने को…. तुम बस मेरे होने की तैयारी कर लो…!!

मुझे ज़िंदगी दूर रखती है

मुझे ज़िंदगी दूर रखती है तुझ से जो तू पास हो तो उसे दूर कर दूँ|

कितना आसाँ था

कितना आसाँ था तेरे हिज्र में मरना जानाँ फिर भी इक उम्र लगी जान से जाते जाते|

गुमान न कर

गुमान न कर अपनी खुशनसीबी का.. नशीबी मे होगा तो तुझे भी इश्क होगा..

हमारे ऐतबार की हद

मत पुछ हमारे ऐतबार की हद तेरे एक इशारे पे.. हम काग़ज़ की कश्ती ले कर समंदर में उतर गये थे..

बस इतनी सी बात

बस इतनी सी बात समंदर को खल गई एक काग़ज़ की नाव मुझपे कैसे चल गई..

ना जाने कितनी बार

ना जाने कितनी बार अनचाहे किया है सौदा सच का, कभी जरुरत हालात की थी और कभी तकाज़ा वक़्त का|

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