“जीत” किसके लिए, ‘हार’ किसके लिए, ‘ज़िंदगी भर’ ये ‘तकरार’ किसके लिए.. जो भी ‘आया’ है वो ‘जायेगा’ एक दिन यहाँ से , फिर ये इंसान को इतना “अहंकार” किसके लिए..
Category: पारिवारिक शायरी
सिखा दिया हैं जहां ने
सिखा दिया हैं जहां ने , हर जख्म पे हसना …… . ले देख जिन्दगी , अब तुझसे नही डरता …..!!
खोए हुए हम खुद हैं
खोए हुए हम खुद हैं, और ढूंढते #भगवान को हैं |
बस यही दो मसले
बस यही दो मसले, जिंदगीभर ना हल हुए!!! ना नींद पूरी हुई, ना ख्वाब मुकम्मल हुए!!!
वक़्त ने कहा
वक़्त ने कहा…..काश थोड़ा और सब्र होता!!! सब्र ने कहा….काश थोड़ा और वक़्त होता!!!
सुबह सुबह उठना पड़ता है
सुबह सुबह उठना पड़ता है कमाने के लिए साहेब…।। आराम कमाने निकलता हूँ आराम छोड़कर।।
शिकायते तो बहुत है तुझसे ऐ जिन्दगी
शिकायते तो बहुत है तुझसे ऐ जिन्दगी, पर चुप इसलिये हु कि, जो दिया तूने, वो भी बहुतो को नसीब नहीं होता
नफरत करने वाले भी
नफरत करने वाले भी गज़ब का प्यार करते हैं मुझसे… जब भी मिलते हैं कहते हैं तुझे छोड़ेंगे नहीं…।।
प्यार के दो मीठे बोल
प्यार के दो मीठे बोल से ही खरीद लो मुझे… दौलत की सोचोगे, तो पूरी दुनिया बेचनी पड़ेगी…!!
मंजिल पाना तो बहुत दूर की बात है
मंजिल पाना तो बहुत दूर की बात है.. गुरुर में रहोगे तो रास्ते भी न देख पाओगे…