“जीत” किसके लिए,
‘हार’ किसके लिए,
‘ज़िंदगी भर’ ये ‘तकरार’ किसके लिए..
जो भी ‘आया’ है वो ‘जायेगा’ एक दिन यहाँ से ,
फिर ये इंसान को इतना “अहंकार” किसके लिए..
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
“जीत” किसके लिए,
‘हार’ किसके लिए,
‘ज़िंदगी भर’ ये ‘तकरार’ किसके लिए..
जो भी ‘आया’ है वो ‘जायेगा’ एक दिन यहाँ से ,
फिर ये इंसान को इतना “अहंकार” किसके लिए..