जनाब मत पूछिये हद हमारी गुस्ताकियो की… हम आईना जमी पर रखकर आसंमा कुचल देते है
Category: पारिवारिक शायरी
रोटियों का स्वाद
रोटियों का स्वाद कुछ ‘बेहतर’ लगा.. आज खेतों में एक किसान को ‘मेहनत’ करते देखा था..!!
फासला और फैसला
फासला और फैसला बड़ा एहमियत रखते है जिंदगी में! एक ज्यादा दूसरा गलत हर रिश्ता तोड़ देता है!!
आसमां में मत दूंढ अपने सपनो को
आसमां में मत दूंढ अपने सपनो को, सपनो के लिए तो ज़मी जरूरी है, सब कुछ मिल जाए तो जीने का क्या मज़ा, जीने के लिये एक कमी भी जरूरी है
ख्वाब जो सलीके से
ख्वाब जो सलीके से तह कर रखे थे, मैने दिल की आलमारी में उनमे सिलवटें पड़ने लगी हैं, शायद इसलिये क्यूंकि इन पर पापा के डाँट की इस्त्री नहीं चलती अब…!!!
अपनो की कोई बात बुरी लगे
अपनो की कोई बात बुरी लगे तो आप खामोश हो जाईए, अगर वह अपने है तो समझ जाएंगे, अगर ना समझे तो आप समझ लेना, की वह अपने थे ही नही…
ना बुरा होगा ना बढ़िया होगा
ना बुरा होगा ना बढ़िया होगा, होगा वैसा, जैसा नजरिया होगा ।
भले ही मैं अपने पिताजी की कुर्सी पर बेठ जाता हूँ
भले ही मैं अपने पिताजी की कुर्सी पर बेठ जाता हूँ , पर आज भी अनुभव के मामले मे मैं उनके घुटनो तक ही आता हूँ ।