आत्मा नाम ही रखती है न मज़हब कोई वो तो मरती भी नहीं सिर्फ़ मकाँ छोड़ती है
Category: पारिवारिक शायरी
बेटियों का बाप भी कितना मजबूर होता है
बेटियों का बाप भी कितना मजबूर होता है, शहर के आवारा गिद्धों का कुछ बिगाड नही सकता…. उसे अपने परियों के पंख ही कुतरने पड़ते है…!!!
अपनी खुशियों की चाबी किसी को न देना
अपनी खुशियों की चाबी किसी को न देना, दाेस्त लोग अक्सर दूसरों का सामान खो देते हैं..!!
वाह रे दोगले समाज
वाह रे दोगले समाज क्या तेरी सोच हैं… पैसे वाले की बेटी.. रात के आठ बजे कही जाए.. तो “चलन” है…! गरीब की बेटी… अगर उसी वक्त पर डयूटी से आए.. तो “बदचलन” है..!!
दुनियाँ की हर चीज ठोकर
दुनियाँ की हर चीज ठोकर लगने से टूट जाया करती है दोस्तो… एक ” कामयाबी ही है जो ठोकर खा के ही मिलती है …!!
धनवान वह नहीं
धनवान वह नहीं, जिसकी तिजोरी नोटों से भरी हो ॥ धनवान तो वो हैं जिसकी तिजोरी रिश्तों से भरी हो ॥
कर्मो से ही पहेचान होती है इंसानो की
कर्मो से ही पहेचान होती है इंसानो की… महेंगे ‘कपडे’ तो,’पुतले’ भी पहनते है दुकानों में !!..
माचिस की ज़रूरत यहाँ नहीं पड़ती
माचिस की ज़रूरत यहाँ नहीं पड़ती… यहाँ आदमी आदमी से जलता है…!!
हम ईंट-ईंट को दौलत से लाल कर देते
हम ईंट-ईंट को दौलत से लाल कर देते, अगर ज़मीर की चिड़िया हलाल कर देते।
किसी भी पेड़ के कटने का क़िस्सा न होता
किसी भी पेड़ के कटने का आज क़िस्सा न होता, अगर कुल्हाड़ी के पीछे लकड़ी का हिस्सा न होता…!!