पेड़ को नींद नहीं आती… जब तक आख़री चिड़िया घर नहीं आती…
Category: दर्द शायरी
हजारों महफिलें है
हजारों महफिलें है और लाखों मेले हैं, पर जहां तुम नहीं वहाँ हम अकेले हैं|
ग़लतफहमी की गुंजाइश
ग़लतफहमी की गुंजाइश नहीं सच्ची मुहब्बत में जहाँ किरदार हल्का हो कहानी डूब जाती है..
भ्रम है केवल
भ्रम है केवल चश्म का, या बदले की रेस। चित्त बदलते हैं कभी, कभी बदलते फेस।।
रात भर चाँद की
रात भर चाँद की ठंडक में सुलगता है बदन, कोई तन्हाई की दोज़ख से निकाले मुझ को……!!
बताओ तो कैसे निकलता है
बताओ तो कैसे निकलता है जनाज़ा उनका,,, वो लोग जो अन्दर से मर जाते है…
एक नाराज़गी सी है
एक नाराज़गी सी है ज़ेहन में ज़रूर, पर मैं ख़फ़ा किसी से नहीं…
गुनाह यार-ए-मोहब्बत
गुनाह यार-ए-मोहब्बत हुआ है मुझसे,,, गुजारिश है कोई मेरे दिल को फांसी दे दो…
बड़ा गजब किरदार है
बड़ा गजब किरदार है मोहब्बत का, अधूरी हो सकती है मगर ख़तम नहीं…
मुसाफ़िर ही मुसाफ़िर
मुसाफ़िर ही मुसाफ़िर हर तरफ़ हैं, मगर हर शख़्स तन्हा जा रहा है…