खुदगर्ज हो गया हूँ मैं

खुदगर्ज हो गया हूँ मैं तम्हारे प्यार में बहुत तक़लीफ़ देता है तेरा किसी और से मिलना भी|

बताते हुए घबराते हैं

बात सबको ये , बताते हुए घबराते हैं .. तेरे ही ख्व़ाब में हम, तुझसे ही शरमाते हैं |

तड़प तो कुछ भी नहीं

मेरी तड़प तो कुछ भी नहीं है, सुना है उसके दीदार के लिए आईने तरसते है…

लिखना है मुझे भी

लिखना है मुझे भी,कुछ गहरा सा, जिसे कोई भी पढे, समझ बस तुम सको |

बंदगी हमने छोड़ दी

बंदगी हमने छोड़ दी फ़राज़ क्या करें लोग जब ख़ुदा हो जाएँ|

इस से पहले कि

इस से पहले कि बेवफ़ा हो जाएँ क्यूँ न ए दोस्त हम जुदा हो जाएँ तू भी हीरे से बन गया पत्थर हम भी कल जाने क्या से क्या हो जाएँ|

मैं दाने डालता हूँ

मैं दाने डालता हूँ ख्यालों के, ये लफ्ज़ कबूतरों से चले आतें हैं|

बहुत करीब से

बहुत करीब से अंजान बन के गुज़री है…! .वो जो बहुत दूर से पहचान लिया करती थी….!!

हमे अच्छा नही लगता

हमे अच्छा नही लगता… कि तुम्हे कोई अच्छा लगे |

इस हुनर से बच पाओ

इस हुनर से बच पाओ तो हुनर है, बडा आसान है शायरोँ मेँ शायर हो जाना…

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