दुनिया में कोई पागल हाथी भी इतनी तबाही नहीं मचाता, जितना कि…… एक “बेक़ाबू मन” ।।
Category: व्यंग्य शायरी
जंगल के उसूल
जंगल के उसूल वही जानते है जिनकी यारी शेरों के साथ होती है..!!
हम ये नहीं चाहते
हम ये नहीं चाहते की कोई आपके लिए ‘दुआ’ ना मांगे हम तो, बस इतना चाहते है की कोई ‘दुआ में ‘आपको’ ना मांगे ….!
Dosto ज़िंदगी में
Dosto ज़िंदगी में बिछड़ गए अगर इतेफ़ाक़ से__ तो हमें देखके नज़रें ना चुरा लेना! कहीं देखा है आपको शायद__ बस यही कह के हाथ मिला
दिल के दर्द
शायरी में सिमटते कहाँ हैं दिल के दर्द दोस्तों, बहला रहे हैं खुद को, जरा अल्फाज़ो के साथ!
मॊहब्बत यू ही
मॊहब्बत यू ही किसी से हुआ नहीं करती… अपना वज़ूद भुलाना पड़ता है,किसी को अपना बनाने के लिए…॥
कैसे हो सकता है
कैसे हो सकता है होनी कह के हम टाला करें और ये दुश्मन बहू-बेटी से मुँह काला करे
बस यही तोहफा है
इस मतलबी दुनिया का, बस यही तोहफा है । खूब लुटाया अपनापन फिर भी,जाने क्यों लोग खफा हैं ।
मिल जाए मुझे
मिल जाए मुझे सबकुछ” ये दुआ देकर चला गया.. और मुझे बस वो चाहिए था.. जो ये दुआ देकर चला गया…
अब इतना भी
अब इतना भी सादगी का ज़माना नहीं रहा के तुम वक़्त गुज़ारो और हम प्यार समझें ।।।।।