मैं एक क़तरा हूँ

मैं एक क़तरा हूँ मुझे ऐसी शिफ़त दे दे मौला , कोई प्यासा जो नजर आये तो दरिया बन जाऊ ।।

बरसती फुहारों में

बरसती फुहारों में भीग कर आराम सा लगता है किसी फरिश्ते का नशीला भरा जाम सा लगता है अक्सर देखता हूं मतलब में भागती इस दुनिया को हर शख्स यहाँ बईमान सा लगता है |

रेशा-रेशा उधेड़कर

रेशा-रेशा उधेड़कर देखो..याराे.. रोशनी किस जगह से काली है..

इन आँसुओं का

इन आँसुओं का कोई क़द्र-दान मिल जाए.. कि हम भी ‘मीर’ का दीवान ले के आए हैं.

कहीं कहीं तो ज़मीं

कहीं कहीं तो ज़मीं आसमाँ से ऊँची है ये राज़ मुझ पे खुला सीढ़ियाँ उतरते हुए..

राख बेशक हूँ

राख बेशक हूँ पर मुझमे हरकत है अभी भी, जिसको जलने की तमन्ना हो हवा दे मुझको..

अधूरी हसरतों का

अधूरी हसरतों का आज भी इलज़ाम है तुम पर, अगर तुम चाहते तो ये मोहब्बत ख़त्म ना होती…

जिस दिन तुम्हारे नाम

इंतजार तो बस उस दिन का है जिस दिन तुम्हारे नाम के पिछे हमारा नाम लगेगा|

मत तोल मोहब्बत मेरी

मत तोल मोहब्बत मेरी अपनी दिल्लगी से…. चाहत देखकर मेरी अक्सर तराज़ू टूट जाते है |

यादों के सहारे

यादों के सहारे दुनिया नही चलती, बिना किसी शायर के महफ़िल नही बनती, एक बार पुकारो तो आए दोस्तों, क्यों की दोस्तों के बिना ये धड़कने नही चलती…

Exit mobile version