बड़ा मुश्किल है जज़्बातो को शायरी में बदलना, हर दर्द महसूस करना पड़ता है यहाँ लिखने से पहले..
Category: शायरी
दर्द बयां करना है
दर्द बयां करना है तो शायरी से कीजिये जनाब.. लोगों के पास वक़्त कहाँ एहसासों को सुनने का…
पाँवों से उड़ा देते
क्या खूब होता जो यादें भी रेत होतीं, मुट्ठी से गिरा देते पाँवों से उड़ा देते !!
मैं एक क़तरा हूँ
मैं एक क़तरा हूँ मुझे ऐसी शिफ़त दे दे मौला , कोई प्यासा जो नजर आये तो दरिया बन जाऊ ।।
माना कि औरों के जितना
माना कि औरों के जितना पाया नहीं…पर..खुश हूँ कि कभी स्वयं को गिरा कर कुछ उठाया नहीं..
हाथ पर हाथ रखा
हाथ पर हाथ रखा उसने तो मालूम हुआ, अनकही बात को किस तरह सुना जाता है !!
शाम हसीन क्या हुई
ज़रा सी शाम हसीन क्या हुई.. उनकी कमी दिल को खलने लगी..!!
काश तुझ पर
काश तुझ पर भी लागु होता सुचना का अधिकार ऐ जिंदगी.. मुझे तुझसे भी कई सवाल-जवाब करने थे…
तू मूझे नवाज़ता है
तू मूझे नवाज़ता है ये तेरा करम है मेरे मौला वरना तेरी मेहरबानी के लायक मेरी इबादत कहाँ…
मैने अपने साये को
मैने अपने साये को भी मार डाला है मेरी तन्हाई अब मुक्कमल है।