कुछ दोस्तो का कद बडा हो गया है

दरवाजे बडे करवा लिये हैं अब हमने भी अपने आशियाने के क्योंकि……? कुछ दोस्तो का कद बडा हो गया है चार पैसे कमाने से…!!

मेरी ही ग़ज़लें गुनगुनाती है वो

मेरी ही ग़ज़लें गुनगुनाती है वो, जब बंद हो जाती है उससे ..बोल-चाल मेरी…!!!

तेरी आदत सी हो गई

शिकवा करने गये थे और इबादत सी हो गई, तुझे भुलाने की ज़िद थी, मगर तेरी आदत सी हो गई…!!!

तुम्हारी यादोँ मे भीग रहा था

खिड़की से बाहर जो देखा तो आज फिर बादल बरस रहे थे, और मैं अन्दर कतरा-कतरा तुम्हारी यादोँ मे भीग रहा था…!!!

वर्षों का सफर खाक हुआ उस दिन

वर्षों का सफर खाक हुआ उस दिन…. . . जब उसनें पूँछ लिया … ” कहो कैसें आना हुआ ????

बिना हासिल किये किसी को चाहना

हासिल करके मुहोब्बत तो हर कोई कर सकता है.. बिना हासिल किये किसी को चाहना कोइ हमसे पूछे..

मैं ज़माने से नहीं हारा

ना छेड किस्सा-ए-उल्फत, बडी लम्बी कहानी है, मैं ज़माने से नहीं हारा, किसी की बात मानी है…

वो शाम जो अब तक उधार है

उसने पूछा कि कौन सा तोहफा है मनपसंद, मैंने कहा वो शाम जो अब तक उधार है…

ढून्ढ रहा हूँ मैं अपने अन्दर

अब तक ढून्ढ रहा हूँ मैं अपने अन्दर के उस शख्स को, जो नज़र से खो गया है नज़र आने के बाद

तुझसे मोहब्बत थी मुझे बेइन्तहा लेकिन

तुझसे मोहब्बत थी मुझे बेइन्तहा लेकिन, अक्सर ये महसूस हुआ तेरे जाने के बाद

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