मेरा खुदा एक ही है…. जिसकी बंदगी से मुझे सकून मिला भटक गया था मै…. जो हर चौखट पर सर झुकाने लगा..
Category: मौसम शायरी
आशिक़ी बंदगी न हो
अपनी ख़ू-ए-वफ़ा से डरता हूँ आशिक़ी बंदगी न हो जाए!
तू उम्मीद है मेरी
ख़ुशी दे, या गम दे दे…. मग़र देते रहा कर ,तू उम्मीद है मेरी… तेरी हर चीज़ अच्छी लगती है पगली
अपना रिश्ता है
बेनाम सा रिश्ता यूँ पनपा है फूल से भंवरा ज्यूँ लिपटा है पलके आंखे, दिया और बाती ऐसा ये अपना रिश्ता है.!!!!
अपनी जिद्द बना लो
सुना है तुम ज़िद्दी बहुत हो, मुझे भी अपनी जिद्द बना लो.!!
मुझे चिढ़ाती है
मैं रात बारह-बजे जब भी देखता हूँ घड़ी सूई सूई से लिपटकर मुझे चिढ़ाती है
आंसुओं में वज़न
कौन कहता है कि आंसुओं में वज़न नहीं होता एक भी छलक जाए तो मन हल्का हो जाता है
जोर न दिखाइए जनाब
उमर का जोर न दिखाइए जनाब.. तकाज़ा उमर से ही नहीँ, ठोकरों से भी होता है..!
खुद को तराशते
उम्र जाया कर दी औरों के वजूद में नुक़्स निकालते निकालते… इतना खुद को तराशते तो खुदा हो जाते…
खुशियाँ दूसरों पर
क्या लूटेगा जमाना खुशियों को मेरी.. मैं तो खुद अपनी खुशियाँ दूसरों पर लुटा कर जीता हूँ….