पर्दा गिरते ही

पर्दा गिरते ही तमाशा ख़तम हो जाता है, फिर बहुत रोते हैं औरों को हँसाने वाले..

ख़्यालात का रंग

ये शहर शहरे-मुहब्बत की अलामत था कभी इसपे चढ़ने लगा किस-किस के ख़्यालात का रंग|

जब आता है

जब आता है गर्दिश का फेर , मकड़ी के जाले में फसता है शेर |

हाथ मिलते ही

हाथ मिलते ही उतर आया मेरे हाथों में कितना कच्चा है दोस्त तेरे हाथ का रंग |

बाद-ए-फ़ना

आया हूँ याद बाद-ए-फ़ना उनको भी क्या जल्द मेरे सीख पे इमान लाये हैं |

तेरा भी अहसान

ऐ ज़िंदगी.. तेरा भी अहसान..क्यों रखा जाए, तू भी ले जा..इस खाक से..हिस्सा अपना…..॥

बहुत कमियाँ निकालते हैं

बहुत कमियाँ निकालते हैं हम दूसरों में अक्सर….!! आओ एक मुलाक़ात ज़रा आईने से भी कर ले…

आप मुझ से

आप मुझ से, मैं आप से गुज़रूँ…. रास्ता एक यही निकलता है…..

छोड़ जाने का गम नहीं

यूँ तो मुझे किसी के भी छोड़ जाने का गम नहीं बस, कोई ऐसा था जिससे ये उम्मीद नहीं थी..

तुम ही हमारे ना हुए

एक तुम ही हमारे ना हुए… वरना दुनिया में क्या कुछ नही होता…

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