मेरी दहलीज़ पर आ कर रुकी है हवा_ऐ_मोहब्बत, मेहमान नवाज़ी का शौक भी है उजड़ जाने का खौफ भी…!!!
Category: दर्द शायरी
गुजर रहा था
गुजर रहा था तेरी गली से सोचा उन खिड़कियों को सलाम कर लूँ… जो कभी मुझे देख कर खुला करती थी..
मेरी ज़िन्दगी की
टिकटें लेकर बैठें हैं मेरी ज़िन्दगी की कुछ लोग……. साहेबान……. तमाशा भी भरपूर होना चाहिए…… निमा की कलम से………..
किसी न किसी
किसी न किसी पे किसी को ऐतबार हो जाता है, अजनबी कोई शख्स यार हो जाता है, खूबियों से नहीं होती मोहब्बत सदा, खामियों से भी अक्सर प्यार हो जाता है !!
कदर हैं आज
फासलें इस कदर हैं आज रिश्तों में, जैसे कोई घर खरीदा हो किश्तों में
ये आशिकों का
ये आशिकों का शहर है ज़नाब, यहाँ सवेरा सूरज से नही, किसी के दीदार से होता है !!!!!
वक्त अच्छा था
वक्त अच्छा था तो हमारी गलती मजाक लगती थी वक्त बुरा है तो हमारा मजाक भी गलती लगती है..
हर एक शख्स
हर एक शख्स ख़फ़ा,मुझसे अंजुमन में था… क्योंकि मेरे लब पे वही था,जो मेरे मन में था…
बुरी सोचों के
बुरी सोचों के कारोबार में इतनी कमी तो है कमाई होती है, बरक़त नहीं होती कमाई में .
हाल–ए–दिल
हम लबों से कह ना पाये, उनसे हाल–ए–दिल कभी, और वो समझे नही यह ख़ामोशी क्या चीज है..