ठहर सी गई है एक चुप्पी सी मुझ में , ढूढ़ रहा हूँ आजकल खुद को खुद में … !!
Category: गरीबी शायरी
अपने हर लफ्ज में
अपने हर लफ्ज में कहर रखते है हम रहे खामोश फिर भी असर रखते है हम ।
मंजिल तो तेरी
मंजिल तो तेरी यही थी बस , जिंदगी गुजर गयी यहा आते क्या मिला तुझे इस दुनिया से अपनों ने ही जला दिया जाते |
शायद ना लिख पाऊ
मै चाहू .. तो भी शायद ना लिख पाऊ उन लफ्जो को … जिन्हें पढ़ कर … तुम जान जाओ मुझे कितनी महोब्बत है तुम से …. !!
डूब सी गई है
डूब सी गई है गुनाहो में मेरी जिंदगी या रब कर दे रहमत मुझ पे भी … कही गुनहगार ही ना मर जाऊ ।
सिलसिला ये चाहत का
सिलसिला ये चाहत का.… दोनों तरफ से था , वो मेरी जान चाहते थे, और मै जान से ज्यादा उन्हें … !!
हमारी साबुत रहे…
ताकि ज़िन्दगी हमारी साबुत रहे… सरहदों से आते ताबूत रहे !!!
मेरी लबों पे
मेरी लबों पे सजी मुस्कुराहट हो तुम , मेरी आँखों मे सजती ख्वाइश हो तुम …
अजब जुनून है
अजब जुनून है इबादत का तेरी दहलीज पार नहीं होती …
मुद्दत हो गयी
मुद्दत हो गयी, कोइ शख्स तो अब ऐसा मिले…!!! बाहर से जो दिखता हो, अन्दर भी वैसा ही मिले…