तूने मेरी मोहब्बत की

तूने मेरी मोहब्बतकी इंतेहा को समझा ही नहीं..
तेरे बदन से दुपट्टा भी सरकता था तो हम अपनी निगाह झुका लेते थे..

Leave a comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Exit mobile version