तूने मेरी मोहब्बतकी इंतेहा को समझा ही नहीं..
तेरे बदन से दुपट्टा भी सरकता था तो हम अपनी निगाह झुका लेते थे..
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
तूने मेरी मोहब्बतकी इंतेहा को समझा ही नहीं..
तेरे बदन से दुपट्टा भी सरकता था तो हम अपनी निगाह झुका लेते थे..