तुम सोंचते हो
सुहाग के लिए होता है श्रृंगार
फिर क्यों मन मगन होता है किसी का
पनघट पर…
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
तुम सोंचते हो
सुहाग के लिए होता है श्रृंगार
फिर क्यों मन मगन होता है किसी का
पनघट पर…