मैं तुझसे अब

मैं तुझसे अब कुछ नहीं मांगता ऐ ख़ुदा,
तेरी देकर छीन लेने की आदत मुझे मंज़ूर नहीं।।

Leave a comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Exit mobile version