लगने दो आज महफिल ….
शायरी कि जुँबा में बहते है ….
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तुम ऊठा लो किताब गालिब कि ….
हम अपना हाल ए दिल कहते है
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
लगने दो आज महफिल ….
शायरी कि जुँबा में बहते है ….
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तुम ऊठा लो किताब गालिब कि ….
हम अपना हाल ए दिल कहते है