सँवरना ही है तो किसी की नज़रों में सँवरिए ज़नाब,
यूं आईने से अपना मिज़ाज
नहीं पूछा करते
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
सँवरना ही है तो किसी की नज़रों में सँवरिए ज़नाब,
यूं आईने से अपना मिज़ाज
नहीं पूछा करते