अगर तुम
दर्द की भाषा ही समझते हो
तो कानो से नही
बल्कि आँखों से मेरी आँखों में झाँखो
और देखो
कितनी मुश्किल से संभाला है समंदर मैंने
वो जिसको बहा कर
तुमने हमदर्दी का मरहम पाया
और मैंने रोक कर …. बेदर्द होने का इलज़ाम!!!
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
अगर तुम
दर्द की भाषा ही समझते हो
तो कानो से नही
बल्कि आँखों से मेरी आँखों में झाँखो
और देखो
कितनी मुश्किल से संभाला है समंदर मैंने
वो जिसको बहा कर
तुमने हमदर्दी का मरहम पाया
और मैंने रोक कर …. बेदर्द होने का इलज़ाम!!!