पतझड़ को भी

पतझड़ को भी तू फुर्सत से देखा कर ऐ दिल, बिखरे हुए हर पत्ते की अपनी अलग कहानी है।

बेहिसाब हसरतें न पालिये

बेहिसाब हसरतें न पालिये. जो मिला है उसे संभालिये..!

कितना भी समेट लो..

कितना भी समेट लो.. हाथों से फिसलता ज़रूर है.. ये वक्त है साहब..बदलता ज़रूर है…

कुछ लोग दिखावे की

कुछ लोग दिखावे की, फ़क़त शान रखते हैं, तलवार रखें या न रखें, म्यान रखते है!

तेरी चाहत तो

तेरी चाहत तो मुक़द्दर है, मिले न मिले… राहत ज़रूर मिल जाती है, तुझे अपना सोच कर…

मेरी ख़ामोशी से

मेरी ख़ामोशी से किसी को कोई फर्क नहीं पड़ता… और शिकायत में दो लफ्ज़ कह दूँ तो वो चुभ जातें है…!!!

दिन ढले करता हूँ

दिन ढले करता हूँ बूढ़ी हड्डियों से साज़-बाज़…… जब तलक शब ढल नहीं जाती जवाँ रहता हूँ मैं…….

किताबों के पन्नो को

किताबों के पन्नो को पलट के सोचता हूँ, यूँ पलट जाए मेरी ज़िंदगी तो क्या बात है. ख्वाबों मे रोज मिलता है जो, हक़ीकत में आए तो क्या बात है….

खाली ज़ेब लेकर

खाली ज़ेब लेकर निकलो कभी बाज़ार में जनाब… वहम दूर हो जायेगा इज्ज़त कमाने का…

जिसे ख़ामोश रहना आ गया

जिसे ख़ामोश रहना आ गया, समझो उसे हर हाल में ख़ुश रहना आ गया … !!

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