मुझे किसीसे नहीं

मुझे किसीसे नहीं अपने आप से है गिला, मैंने क्यूँ तेरी चाहत को जिन्दगी समझा|

इस कदर हम

इस कदर हम उनकी मुहब्बत में खो गए, कि एक नज़र देखा और बस उन्हीं के हम हो गए, आँख खुली तो अँधेरा था देखा एक सपना था, आँख बंद की और उन्हीं सपनो में फिर सो गए!

इश्क का समंदर

इश्क का समंदर भी क्या समंदर है, जो डूब गया वो आशिक जो बच गया वो दीवाना…!!

वक्त गुजारने के लिए

मुझे सिर्फ वक्त गुजारने के लिए ना चाहा कर..ए जिंदगी मैं भी इन्सान हूँ और मुझे भी तकलीफ होती है|

लाख समझाया उसको

लाख समझाया उसको की दुनिया शक करती है…. मगर उसकी आदत नहीं गयी मुस्कुरा कर गुजरने की.

मुझको ही अपने

मुझको ही अपने पास लौटना पड़ा तुम मेरे इंतजार से आगे बढ़ गए|

हमारे इश्क़ को

हमारे इश्क़ को झूठा कैसे कहा तुमने , जब तुमने हमे तुमसे इश्क़ करने से पहले ही ठुकरा दिया…!!

जिस शहर में

जिस शहर में तुम्हे मकान कम और शमशान ज्यादा मिले… समझ लेना वहा किसी ने हम से आँख मिलाने की गलती की थी….!!

आज टूटा एक तारा

आज टूटा एक तारा देखा, बिलकुल मेरे जैसा था। चाँद को कोई फर्क नहीं पड़ा, बिलकुल तेरे जैसा था।।

तुम वादा करो

तुम वादा करो आखरी दीदार करने आओगे, हम मौत को भी इंतजार करवाएँगे तेरी ख़ातिर,

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