अपनी तस्वीर को

अपनी तस्वीर को रख कर तेरी तस्वीर के साथ… मैंने एक उम्र गुज़ारी बड़ी तदबीर के साथ…

ज़रूरी तो नहीं

ज़रूरी तो नहीं के शायरी वो ही करे जो इश्क में हो, ज़िन्दगी भी कुछ ज़ख्म बेमिसाल दिया करती है…

इश्क़ का क्या हुआ

इश्क़ का क्या हुआ है, असर देखें; आप ही आप हैं, अब जिधर देखें!

क्या ऐसा नहीँ हो सकता

क्या ऐसा नहीँ हो सकता की हम प्यार मांगे, और तुम गले लगा के कहो… और कुछ….??

चाँदनी बनने की

चाँदनी बनने की ख़्वाहिश.. हर किसी की है, हमारी तलब.. तुम्हारी ख़ामोश तन्हाई है..!! एक तन्हा रात का ख़त .. चाँद के नाम!

अजीब रंगो में

अजीब रंगो में गुजरी है मेरी जिंदगी। दिलों पर राज़ किया पर मोहब्बत को तरस गए।

मोत से तो दुनिया मरती हैं

मोत से तो दुनिया मरती हैं आशीक तो बस प्यार से ही मर जाता हैं|

कुछ लोग आए थे

कुछ लोग आए थे मेरा दुख बाँटने मैं जब खुश हुआ तो खफा होकर चल दिये|

निकली थी बिना नकाब

निकली थी बिना नकाब आज वो घर से मौसम का दिल मचला लोगोँ ने भूकम्प कह दिया|

हम तो पागल हैं

हम तो पागल हैं शौक़-ए-शायरी के नाम पर ही दिल की बात कह जाते हैं और कई इन्सान गीता पर हाथ रख कर भी सच नहीं कह पाते है…

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