लफ्ज ही इजहार

जरूरी नही की लफ्ज ही इजहार करे वो हमारी ख़ामोशी से भी तो प्यार करे”

फ़तेह कर लिया हो

क्या सिखा सकती है ज़िन्दगी उसे जिसने मौत को फ़तेह कर लिया हो…

दिलवालों का तमाशा

लफ्जों में भी कई बार लोग बेईमानी कर जातें हैं। दुनिया वाले हम दिलवालों का तमाशा बना देते हैं।।”

खिलाफत मे ज़िंदगी

खिलाफत मे ज़िंदगी की ये हश्र भी हो गया, मकबरा तो बही है पर मुर्दों ने,कब्रस्तान बदल दिये,

दर्द दिल का

दर्द दिल का कैसे बयाँ करे भला अल्फाजो में हम वो लफ्ज कहाँ से लायें जिसमे समा जायें सब गम”

अल्फ़ाज़ मैला कर दिया

हर भूख हर प्यास हर मतलब को प्यार बताकर लोगों ने यह अल्फ़ाज़ मैला कर दिया”

सिर्फ दिल ही है

दुनिया में सिर्फ दिल ही है जो बिना आराम किये काम करता है…. इसलिए उसे खुश रखो ,चाहे वो अपना हो या अपनों का…!!!

बड़ी इबादत से पुछा

बड़ी इबादत से पुछा था मैंने उस खुदा से जन्नत का पता,,,,,थककर नींद आयी तो खुदा ने माँ की गौद में सुला दिया !!!

विश्वास ज्यादा हो

रिश्ते वो होते हैं, जिसमे शब्द कम और समझ ज्यादा हो; जिसमे तकरार कम और प्यार ज्यादा हो; जिसमे आशा कम और विश्वास ज्यादा हो।

पसंद करने लगे हैं

कुछ लोग पसंद करने लगे हैं अल्फाज मेरे; मतलब मोहब्बत में बरबाद और भी हुए हैं।

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