सज़ा ए-मौत

कुछ लोग सिखाते हैं मुझे मुहोब्बत के क़ायदे-कानून, .. नहीं जानते वो इस गुनाह में हम सज़ा ए-मौत के मुज़रिम हैं..!!

घर न था

उस के लिये महल भी थे क़िलए भी थे मगर सुल्तान के नसीब में कोई भी घर न था

हीरे बन गये

जिने था हीरो से प्यार उनको हीरे मिल गये, फकीरा जिने था ईश्वर से प्यार वो खुद हीरे बन गये

बांधों के अवरोधों से

बहता पानी भी रुकता देखा_बांधों के अवरोधों से…. नहीं किसी के रोके रुकती उसका नाम “जवानी” है

गुज़रता कौन हे

इश्क में शोलों के दरिया से गुज़रता कौन हे । जान देनेको तो सभी कहतें हे, मरता कौन हे ।

मुश्किल से मुश्किल

इतना आसां नहीं है मुझे आसां कर पाना बङी मुश्किल से मुश्किल हुआ हुँ.

इश्क के रिश्ते

“इश्क के रिश्ते भी बड़े नाजुक होते है साहब, रात को नम्बर बिजी आने पर भी टूट जातेहै.!!”

हाथों से मुकद्दर

हाथों से मुकद्दर तो संवर सकती है, लेकिन हाथों की लकीर में मुकद्दर नहीं होता है।

मै भी इंसान हूँ

मै भी मै भी इंसान  हूँ तम भी मै भी इंसान  हूँ, तु पढ़ता है “वेद” हम पढ़ते “क़ुरान” है।

हारने की आदत

कमबख्त इस दिल को हारने की आदत हो गयी है! वरना हमने जहाँ भी दिमाग लगाया फ़तेह ही पाई है!!

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