वहाँ तक तो साथ चलो ,जहाँ तक साथ मुमकिन है , जहाँ हालात बदल जाएँ , वहाँ तुम भी बदल जाना …
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बदल जाती हो तुम …
बदल जाती हो तुम कुछ पल साथ बिताने के बाद…… यह तुम मोहब्बत करती हो या नशा…
कुछ तो सम्भाला होता..
कुछ तो सम्भाला होता…. मुझे भी खो दिया तुमने…..
वक़्त को मेरी फ़िक्र थी..
वक़्त को मेरी फ़िक्र थी.. उसे शायद ये पता नहीं था.. की वो भी गुज़र रहा है..!!
हमने तुम्हें उस दिन से
हमने तुम्हें उस दिन से और ज़्यादा चाहा है, जबसे मालूम हुआ के तुम हमारे होना नहीं चाहते..
सारा बदन अजीब सी
सारा बदन अजीब सी खुशबु से भर गया… शायद तेरा ख्याल हदों से गुजर गया…
दर्द मीठा हो तो
दर्द मीठा हो तो रुक -रुक के कसक होती है, याद गहरी हो तो थम -थम के करार आता है।
लफ़्ज लफ़्ज जिसका
लफ़्ज लफ़्ज जिसका खुशनूमां बोलता हैं समझ लो वोह शख्स उर्दू जुबां बोलता है
मैं आदमी हूँ
मैं आदमी हूँ कोई फ़रिश्ता नहीं हुज़ूर मैं आज अपनी ज़ात से घबरा के पी गया….
सुनो यही तो
सुनो यही तो प्यार होता है ना जब कोई जीने लगता हैं किसी और के जिस्म में रूह बनकर