हसरतें आज भी

हसरतें आज भी ख़त लिखती हैं मुझे… मगर अब हम पुराने पते पर नहीं रहते ..

उम्र भर उठाया

उम्र भर उठाया बोझ उस कील ने… और लोग तारीफ़ तस्वीर की करते रहे….

मिटाओगे कहाँ तक

मिटाओगे कहाँ तक मेरी यादें और मेरी बातें, मैं हर मोड़ पर लफ्ज़ों की निशानी छोड़ जाऊँगा !!

तजुर्बा एक ही काफी था

तजुर्बा एक ही काफी था ,बयान करने के लिए , मैंने देखा ही नहीं इश्क़….. दोबारा करके…..!!!

हर कोई तेरे आशियाने का पता

हर कोई तेरे आशियाने का पता पूछता है, न जाने किस किस से वफा के वादे किये है तूने !!

खौफ नहीं अजनबी से

खौफ नहीं अजनबी से मुलाकात का,फिक्र है की कौई रिश्ता ना बन जाये !!

गजलों का हुनर

गजलों का हुनर साकी को सिखाएंगे,… रोएंगे मगर आंसू नहीं आएंगे, कह देना समंदर से हम ओस के मोती हैं,.. .नदीयाँ की तरह तुझसे मिलने नहीं आएंगे!!

चल ना यार हम फिर से

चल ना यार हम फिर से मिट्टी से खेलते है,हमारी उम्र क्या थी जो मोहब्बत से खेल बैठे !!

हमको टालने का शायद

हमको टालने का शायद तुमको सलीका आ गया हे.बात तो करते हो लेकिन अब तुम अपने नही लगते !!!

बहुत रोये वो

बहुत रोये वो हमारे पास आके जब एहसास हुआ अपनी गलती का,चुप तो करा देते हम, अगर चहरे पे हमारे कफन ना होता.

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