सस्ता सा कोई इलाज़ बता दो इस मोह्ब्बत का

सस्ता सा कोई इलाज़ बता दो इस मोह्ब्बत का ..! “एक गरीब इश्क़ कर बैठा है इस महंगाई के दौर मैं”

कर्मो से ही पहेचान होती है इंसानो की

कर्मो से ही पहेचान होती है इंसानो की… महेंगे ‘कपडे’ तो,’पुतले’ भी पहनते है दुकानों में !!..

जिंदगी समझ बैठे

जो मिलते हैं वो बिछड़ते भी हैं साहिब, हम नादान थे … एक शाम की मुलाकात को .. जिंदगी समझ बैठे ..

किसको बताएं कब से हम ज़िन्दगी के राही

किसको बताएं कब से हम ज़िन्दगी के राही फूलों की आरज़ू में काँटों पे चल रहे हैं

मोहब्बत यूँ ही किसी से हुआ नहीं करती

मोहब्बत यूँ ही किसी से हुआ नहीं करती, अपना वजूद भूलाना पडता है,किसी को अपना बनाने के लिए.

माचिस की ज़रूरत यहाँ नहीं पड़ती

माचिस की ज़रूरत यहाँ नहीं पड़ती… यहाँ आदमी आदमी से जलता है…!!

हम ईंट-ईंट को दौलत से लाल कर देते

हम ईंट-ईंट को दौलत से लाल कर देते, अगर ज़मीर की चिड़िया हलाल कर देते।

जनाब मत पूछिये

जनाब मत पूछिये हद हमारी गुस्ताकियो की… हम आईना जमी पर रखकर आसंमा कुचल देते है

औकात क्या है तेरी

औकात क्या है तेरी, “ए जिँदगी” चार दिन कि मुहोब्बत तुझे तबाह कर देती है…..iii

हज़ारो मैं मुझे सिर्फ़ एक वो शख्स चाहिये

हज़ारो मैं मुझे सिर्फ़ एक वो शख्स चाहिये , जो मेरी ग़ैर मौजूदगी मैं, मेरी बुराई ना सुन सके !!

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