इन्तेहा कर दो

तुम बेशक अपने ज़ुल्म की इन्तेहा कर दो नां जाने फिर कोई हम सा बेजुबां मिले ना मिले.…”

कर्ज़े चुका दूं

सबके कर्ज़े चुका दूं मरने से पहले, ऐसी मेरी नियतं हैं, मौंत से पहले तूं भी बता दे ज़िन्दगी, तेरी क्या किमत हैं.”.

कुछ सालों बाद

कुछ सालों बाद ना जाने क्या होगा, ना जाने कौन दोस्त कहाँ होगा… फिर मिलना हुआ तो मिलेगे यादों में, जैसे सूखे हुए गुलाब मिले किताबों में.

मिल जाता है

सुना है सब कुछ मिल जाता है खुदा कि दुआ से , मिलते हो अब खुद या मांग लू तुम्हें खुदा से ?

मुझे भी आता है

हर कोई मुझे जिंदगी जीने का तरीका बताता है। उन्हे कैसे समझाऊ की एक ख्वाब अधुरा है मेरा… वरना जीना तो मुझे भी आता है.

वो पूछते हैं

वो पूछते हैं क्या नाम है मेरा, मैंने कहा बस अपना कहकर पुकार लो.

Tasveer Bhi Hai

Zindagi Tasveer bhi hai Aur Taqdeer bhi… Farq to Rango ka hai… Manchahe Rango se bane to Tasvir, Aur Anjaane Rango se bane to Taqdir…

फिक्र तब होती है

जुबाँ न भी बोले तो, मुश्किल नहीं… फिक्र तब होती है जब… खामोशी भी बोलना छोड़ दें…।।

एक हुनर है

जख्म छुपाना भी एक हुनर है, वरना, यहाँ हर मुठ्ठी में नमक है

तकलीफ़ लोगों

ज़हर का सवाल नहीं था वो तो में पी गया तकलीफ़ लोगों को ये थी की में जी गया ।

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