अलफ़ाज़ तो बहुत हैं

अलफ़ाज़ तो बहुत हैं,मोहब्बत बयान करने के लिए। पर जो खामोशी नहीं समझ सके, वो अलफ़ाज़ कया समझेंगे !!

देखा आज मैने रास्ते पर

देखा आज मैने रास्ते पर बिखरा हुआ सुख जो दौलत का था दुख जो औरत का था रास्ते पर खड़ी हुई सोचती ये रह गई किस कदर गिर गया इंसान जो कुदरत का था

रिश्ता

?” रिश्ता “? कई लोगों से होता है , मगर … कोई प्यार से निभाता है तो … कोई नफरत से निभाता है ..

दर्द

?” दर्द “? सभी इंसानो मे है मगर … कोई दिखाता है तो … कोई छुपाता है …..

हमसफर

?” हमसफर “? सभी है मगर … कोई साथ देता है तो … कोई छोड देता है …..

बेवजह मिलना ए दोस्त

कभी मिल सको तो पंछीयो की तरह बेवजह मिलना ए दोस्त, वजह से मिलने वाले तो न जाने हर रोज कितने मिलते है ।

प्यार सभी करते है मगर

?” प्यार “? सभी करते है मगर … कोई दिल से करता है तो … कोई दिमाग सें करता है

वो ‎माँ‬ ही है

रुके तो चाँद जैसी है, चले तो हवाओं जैसी है, वो ‎माँ‬ ही है, जो धूप में भी छाँव जैसी है….?

नजर ख़राब है

मेरे हाथ में गंगाजल,तेरे हाथ में शराब है???? मैं हो गया अमावास तू माहताब है? तेरी नजर उठी तो अदा-ए-हुस्न हो गयी?? उठी जो मेरी नजर तो नजर ख़राब है??

चलते रहेंगे क़ाफ़िले

चलते रहेंगे क़ाफ़िले मेरे बग़ैर भी यहाँ. एक तारा टूट जाने से, फ़लक़ सूना नहीं होता…

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