मेरी फ़ितरत कि मैं खिल जाता हूँ बे-मौसम भी मेरी आदत कि मैं मजबूर नहीं हो सकता !
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मुझे महका कर
मुझे महका कर गुजर गया.. वो झोंका जो तुझे छूकर आया था..
आइये बारिशों का
आइये बारिशों का मौसम है, इन दिनों चाहतों का मौसम है…..
सबकी अपनी अपनी परेशानियाँ है
सबकी अपनी अपनी परेशानियाँ है जनाब, वरना,मेरी तरह शायरियों में कौन अपना वक़्त बर्बाद करता है..!!
यह आँसूं तुम्हारे दिए हैं
यह आँसूं तुम्हारे दिए हैं, इनसे नादानी नहीं होगी यह ताउम्र आँख मैं ही रहेंगे, उससे बाहर न आयेंगें
तू बिल्कुल चिलम सी
तू बिल्कुल चिलम सी कड़क और मैं बिल्कुल धुँआ धुँआ सा…
शिकायतें बचा कर
शिकायतें बचा कर रखिये,मोहब्बत अभी बाकी है।
जब से उसने बारिश में
जब से उसने बारिश में भीगना छोड़ दिया, बादलों ने मेरे शहर में बरसना छोड़ दिया।
आरजू है कि एक बस तू
आरजू है कि एक बस तू हो या तेरा अहसास हो… गर दोनो ना हो तो ना मै रहूँ ना मेरा अहसास हो..
कमबख्त बिकता भी नहीं.
किसी टूटे हुए मकान की तरह हो गया हैं ये दिल, कोई रहता भी नहीं और कमबख्त बिकता भी नहीं.