मनाने की कोशिश

मनाने की कोशिश तो बहुत की हमनें…पर जब वो हमारे लफ़्ज ना समझ सके.. तो हमारी खामोशियों को क्या समझेंगे|

जब तक बिके न थे

जब तक बिके न थे हम, कोई हमें पूछता न था, तूने खरीद के हमें, अनमोल कर दिया |

ताल्लुक़ कौन रखता है

ताल्लुक़ कौन रखता है किसी नाकाम से…! लेकिन, मिले जो कामयाबी सारे रिश्ते बोल पड़ते हैं…! मेरी खूबी पे रहते हैं यहां, अहल-ए-ज़बां ख़ामोश…! मेरे ऐबों पे चर्चा हो तो, गूंगे बोल पड़ते हैं…!!

जो भी आता है

जो भी आता है बताता है नया कोई इलाज बट न जाए तिरा बीमार मसीहाओं में

मेरी वफ़ा का

मेरी वफ़ा का कभी इम्तिहान मत लेना की मेरे दिल को तेरे लिए हारने की आदत है…..

आज कितने खुश थे

आज कितने खुश थे वो एक अजनबी के साथ में… मुझ पर नज़र पड़ी तो…. मायूस हो गये……

मुफ़लिस के बदन को

मुफ़लिस के बदन को भी है चादर की ज़रूरत, अब खुल के मज़ारों पर ये ऐलान किया जाए..!!

मजबूर किया तुमने

मजबूर किया तुमने नज़र अंदाज़ करने पर वरना हम तो तेरे हर अंदाज पर तेरी नज़र उतारा करते थे…..

एक वो दिन

एक वो दिन जब लाखों गम और काल पड़ा है आंसू का, एक वो दिन जब एक जरा सी बात पे नदियां बहती थीं।

कभी खो लिया

कभी खो लिया कभी पा लिया कभी रो लिया कभी गा लिया कभी छीन लेती है हर ख़ुशी कभी मेहरबान बेहिसाब है।

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