महफ़िल में हँसना

महफ़िल में हँसना हमारा मिजाज बन गया, तन्हाई में रोना एक राज बन गया, दिल के दर्द को चेहरे से जाहिर न होने दिया, बस यही जिंदगी जीने का अंदाज बन गया।

मेरे हिस्से का

मेरे हिस्से का वक़्त कहाँ रखते हो ? देखो तो सही … इक समुन्दर उग आया होगा वहां…

कभी सोचता हूँ

कभी सोचता हूँ की सारे हिसाब चुकता कर आउ, लेकिन फिर ख्याल आता है कि आसुओ की कीमत लाख गुना अधिक होती है..

मेरा मिज़ाज है

जितना हीं मेरा मिज़ाज है सादा, उतने हीं मुझे उलझे हुए लोग मिले..

करनी है तो

करनी है तो दर्द की साझेदारी कर ले, मेरी खुशियों के तो दावेदार बहुत हैँ..

‬ये इंतिज़ार सहर का था

‬ये इंतिज़ार सहर का था या तुम्हारा था, दिया जलाया भी मैंने दिया बुझाया भी मैंने…

खामोश रहने दो

खामोश रहने दो लफ़्ज़ों को, आँखों को बयाँ करने दो हकीकत, अश्क जब निकलेंगे झील के, मुक़द्दर से जल जायेंगे अफसाने..

हवा दुखों की

हवा दुखों की जब आई कभी ख़िज़ाँ की तरह मुझे छुपा लिया मिट्टी ने मेरी माँ की तरह|

उसने नज़र नज़र में

उसने नज़र नज़र में ही ऐसे भले सुखन कहे मैंने तो उसके पांव में सारा कलाम रख दिया सुखन |

बहुत अजीब हैं

बहुत अजीब हैं ये बंदिशें मुहब्बत की, न उसने क़ैद में रखा न हम फ़रार हुए।

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