घर के बाहर

घर के बाहर ढूँढता रहता हूँ दुनिया, घर के अंदर दुनिया-दारी रहती है।।

बहुत शौक है

बहुत शौक है न तुझे ‘बहस’ का आ बैठ…….’बता मुहब्बत क्या है’…

जिंदगी देने वाले

जिंदगी देने वाले, मरता छोड़ गये, अपनापन जताने वाले तन्हा छोड़ गये, जब पड़ी जरूरत हमें अपने हमसफर की, वो जो साथ चलने वाले रास्ता मोड़ गये।

उन्होने वक्त समझकर

उन्होने वक्त समझकर गुजार दिया हमेँ… हम उन्हें जिंदगी समझकर आज भी जी रहे हैँ…

अगर परछाईयाँ कद से

अगर परछाईयाँ कद से और बातें औकात से बड़ी होने लगे तो समझ लीजिये कि सूरज डूबने ही वाला है..!

तुम करो कोशिशें

तुम करो कोशिशें मुझसे नफरत करने की मेरी तो हर एक सांस से तेरे लिए दुआ ही निकलेगी…!!

प्यार का रिश्ता

प्यार का रिश्ता भी कितना अजीब होता है। मिल जाये तो बातें लंबी और बिछड़ जायें तो यादें लंबी।

हमारी नियत का पता

हमारी नियत का पता तुम क्या लगाओगे गालिब…. हम तो नर्सरी में थे तब भी मैडम अपना पल्लू सही रखती थी….

नज़र झुका के

नज़र झुका के जब भी वो गुजरे हैं करीब से.. हम ने समझ लिया कि आदाब अर्ज़ हो गया ..

सदाबहार हैं ख्वाब

सदाबहार हैं ख्वाब तुम्हारे , न कोई पतझड़ , न कोई बसंत इनका….

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