दुनिया वाले गली-गली में दीवार बनाते हैं मुहब्बत का सर काट दे वो तलवार बनाते हैं ये अदा है दुश्मनी की जो हर आशिक को अपनी ही मौत का तलबगार बनाते हैं|
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पसन्द नहीं तुम्हारी
पसन्द नहीं तुम्हारी ये बात, जब बिन बात के ही बात नहीं करते..!!
ये लफ़्ज़ों की
ये लफ़्ज़ों की शरारत है, ज़रा संभाल कर लिखना तुम; मोहब्बत लफ्ज़ है लेकिन ये अक्सर हो भी जाती है।
सूकून ऐ जन्नत
सूकून ऐ जन्नत इस दुनिया मैं कहां, फूरसत तो तुझे मौत ही देगी |
लोग गिरते नहीं थे
लोग गिरते नहीं थे नज़रों से..!! इश्क़ के कुछ उसूल थे पहले..
अपने ही अपनों से
अपने ही अपनों से करते है, अपनेपन की अभिलाषा.. पर अपनों नें ही बदल राखी है, अपनेपन की परिभाषा….
मौत मेरी हो गयी
मौत मेरी हो गयी किसने कहा झूंठ है आकर सरासर देख लो
देहरी पर टकटकी लगाये
देहरी पर टकटकी लगाये सोच रही माँ बच्चे छोड़ गए अब मुझे प्यार से कौन सताएगा |
मिटटी महबूबा सी
मिटटी महबूबा सी नजर आती है गले लगाता हूँ तो महक जाती है ।।
कितने बेबस हैं
कितने बेबस हैं तेरी चाहत में, तुझे खो कर भी,अब तक तेरे हैं…