लौट आया हूँ

लौट आया हूँ मैं फिर ख़ामोशी की क़ैद में … ! .तुम्हें दिल से आवाज़ देने की यही सजा हैं मेरी…

सिक्के हमारे हिसाब से

खरीद लेंगे सबकी सारी उदासियाँ, दोस्तों… सिक्के हमारे हिसाब से, चलने लगेंगे जब…!!!

तन्हा थी और हमेशा से तन्हा है

तन्हा थी और हमेशा से तन्हा है जिंदगी, है यही जिंदगी का नाज़ और क्या है जिंदगी|

मुझे पत्थर बनाने में

मुझे पत्थर बनाने में उसका बड़ा हाथ है, . . जिसे मैं कभी फ़ूल दिया करता था..

कभी मैं जिंदगी के

मज़े दोनो बराबर ले रहे है… कभी मैं जिंदगी के, कभी जिंदगी मेरे..

तेरे दीदार से

खुशबु ना किसी रंग..ना बाजार से बहले. दिल एक तेरे ज़िक्र..तेरे दीदार से बहले…

चाहिए क्या तुम्हे तोहफे में

चाहिए क्या तुम्हे तोहफे में बता दो वरना हम तो बाजार के बाजार उठा लाएंगे|

आसमान से जो

आसमान से जो फ़रिश्ते उतारे जाये वो भी इस दौर में सच बोले तो मरे जाये|

गुमराह कब किया है

गुमराह कब किया है किसी राह ने मुझे चलने लगा हूँ आप ही अपने ख़िलाफ़ में|

मेरे लफ्ज़ भी

मेरे लफ्ज़ भी खामोश है, उसकी ख़ामोशी भी बोलती है..।।

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