अजीब भूल है तुम्हारी

तुमहे भूलेंगे और वो भी हम?? उफ्फ़ कितनी अजीब भूल है तुम्हारी।।

मोहब्बत आज भी

मोहब्बत आज भी करते है एक दूसरे से, पर बताते अब वो भी नहीं और जताते हम भी नहीं।।

तुम जब मेरा

तुम जब मेरा सब ले गए, तो मुझे क्यों छोड़ गए।।

सारा जंगल तलाश कर

सारा जंगल तलाश कर डाला, सांप अपनी ही आस्तीन में मिला।।

मिले थे एक अजनबी बनकर

मिले थे एक अजनबी बनकर, आज मेरे दिल की जरूरत हो तुम।।

आज तू ही

आज तू ही बता दे तू है कौन, तेरी हर बात छू जाती है दिल को मेरे।।

तुझसे मेरा रिश्ता

तुझसे मेरा रिश्ता क्या है,मालूम तो नही मगर, तेरे लिए दुआ माँगना, न जाने क्यो अच्छा लगता है..!!

हम में तो ख़ैर हिम्मत है

हम में तो ख़ैर हिम्मत है “दर्द ” सहने की, तुम बताओ थक नहीं जाते दर्द देते देते…!!

दिलों कि बात

दिलों कि बात भले ही करता हो ज़माना लेकिन, आज भी मुहब्बत चेहरों से ही शुरू होती हैं..

खुशनसीब कुछ ऐसे हम

खुशनसीब कुछ ऐसे हम हो जायें, तुम हो हम हो और इश्क़ हो जायें।।

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