बहुत रोकना चाहा

बहुत रोकना चाहा पर रोक ना सका खुद को, ये कमबक्त मोहब्बत भी गुनाहों जैसी है……….

लहरो को छुने तक

मेरे बस मे हो तो लहरो को इतना हक़भी ना दू … लिखु नाम तेरा किनारे पे और लहरो को छुने तक ना दू !

छुपा लो इस

छुपा लो इस तरह से मुझे अपनी बाहो मेँ कि हवा को भी गुजरने की इजाजत लेनी पडेँ

pyaas bhujhane ke liye

Tere hontho ko chuma to ye ehsaas hua mujhe…Ki ek paani hi nahi hai pyaas bhujhane ke liye…!!

मोहब्बत कम नहीं होती..!

नादान है बहुत जरा तुम ही समझाओ यार उसे.. कि यूँ ” खत” को फाड़ने से मोहब्बत कम नहीं होती..!”

Ab wo aansu

Kaha tha na ke zabt karna.. Ab wo aansu samandar ho gya na…!”

जल जाते है

जल जाते है मेरे अंदाज से मेरे दुश्मन…. क्योंकि एक मुद्दत से मैंने न प्यार बदला और न दोस्त…

अंदाज़ ऐ मोहब्बत

अंदाज़ ऐ मोहब्बत है बड़ा नटखट सा उन का… बांहों में गिर कर कहते हैं सम्भालो हम को….

Akele rehne ka

Akele rehne ka bhi ek alag hi sukoon hai, Na kisi ke wapas aane ki ummeed, na kisike chhod jane ka dar!!

तूने तो लाखों की

ख़ुदा तूने तो लाखों की तकदीर संवारी है… मुझे दिलासा तो दे, के अब मेरी बारी है…!!!!

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