यूं कम ना आंकिये

लफ़्ज़ों को यूं कम ना आंकिये, चंद जो इक्कठे हो जाएँ तो शेर हो जाते हैं।

कच्चे रिश्ते जरा भी

मुझे तेरे ये कच्चे रिश्ते जरा भी पसंद नहीं आते या तो लोहे की तरह जोड़ दे या फिर धागे की तरह तोड़ दे .!

परेशानियों ने भी

परेशानियों ने भी क्या खूब याद रखा मेरे घर का पता…. बस ये खुशिया ही है जो आवारा निकली…

तेरी एक झलक पाने को

तेरी एक झलक पाने को तरस जाता है दिल मेरा….! खुश किस्मत हैं वो लोग जो तेरे घर के सामने रहते है..!!

न जाने इतनी मोहब्बत

न जाने इतनी मोहब्बत कहाँ से आ गयी उस अजनबी के लिए..!! की मेरा दिल भी उसकी खातिर अक्सर मुझसे रूठ जाया करता हे ..!!

तुम्हारे हँसने की वजह

तुम्हारे हँसने की वजह बनना चाहता हूँ , बस इतना हैं तुमसे कहना………

कभी साथ बैठो

कभी साथ बैठो तो कहूँ की क्या दर्द है मेरा…… तुम दूर से पूछोगे तो खैरियत ही कहेगे …

अगर समझ पाते

अगर समझ पाते तुम मेरी चाहत की इन्तेहा तो, हम तुमसे नही, तुम हमसे मुहब्बत करते… !!

कैसे जिंदा रहेगी तहज़ीब

कैसे जिंदा रहेगी तहज़ीब सोचिये ! पाठशाला से ज्यादा तो मधुशाला हैं इस शहर मे

पूरी दुनिया खोज लो

पूरी दुनिया खोज लो हमसे बड़ा न वीर हमने खुद ही डाल लीं पांवों में जंजीर |

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