सितम याद आ रहा है

सितम याद आ रहा है रह रहकर.. मोहब्बत में कितने ज़ालिम सा था वो….

रिश्ता जमीं से

रिश्ता जमीं से मेरा कभी टूटता नही वो याद रहा मुझको मेरी हर उड़ान में !

कभी आती है

कभी आती है हँसी खुद पर कभी खाली जेब पर हँसी आती है|

सबसे गिरी हुई चीज़

फायदा सबसे गिरी हुई चीज़ है, लोग उठाते ही रहते हैं..!!

ज़रा सी ढंग की रोटी

ज़रा सी ढंग की रोटी क्या मांग ली देश के सिपाही ने… सरकार ने तो बन्दुक ही छीन ली…

तमाम लोगों को

तमाम लोगों को अपनी अपनी मंजिल मिल चुकी, कमबख्त हमारा दिल है, कि अब भी सफर में है।

ठहर जाते तो शायद

ठहर जाते तो शायद मिल जाते हम तुम्हें, इश्क मे इन्तजार किया करते हैं जल्दबाजी नही…

छीनकर हाथों से

छीनकर हाथों से जाम वो इस अंदाज़ से बोली, कमी क्या है इन होठों में जो तुम शराब पीते हो।

मेहरबान होकर बुला लो

मेहरबान होकर बुला लो मुझे किसी वक़्त, मैं गया वक़्त नहीं कि फिर आ भी ना सकूँ…..

रंजिश ही सही

रंजिश ही सही , दिल को दुखाने के लिए आ, आ फिर से मुझे , छोड़ जाने के लिए आ…..

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