मेरी गली से गुजरा.. घर तक नहीं आया, , , , अच्छा वक्त भी करीबी रिश्तेदार निकला… …… ………..
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कभी इनका हुआ हूँ मैं..
कभी इनका हुआ हूँ मैं… कभी उनका हुआ हूँ मैं… खुद के लिए कोशिश नहीं की… मगर सबका हुआ हूँ मैं… मेरी हस्ती बहुत छोटी… मेरा रुतबा नहीं कुछ भी… लेकिन डूबते के लिए… सदा तिनका हुआ हूँ मै…
नीचे गिरे सूखे पत्तों पर अदब से
“नीचे गिरे सूखे पत्तों पर अदब से ही चलना ज़रा कभी कड़ी धूप में तुमने इनसे ही पनाह माँगी थी।”
मैं थक गया था …
मैं थक गया था … परवाह करते करते, जब से ला-परवाह हुआ हूँ आराम सा है..!!!
अपनी सूरत से जो जाहिर है
अपनी सूरत से जो जाहिर है छुपाये कैसे तेरी मर्जी के मुताबिक नज़र आये कैसे
उससे दुरी बनाये रखता भी तो कैसे रखता
उससे दुरी बनाये रखता भी तो कैसे रखता, ए दोस्त… . . मैं जन्मजात चरसी और वो, गोल्डफ्लैक सी लड़की.
बड़ा ही खामोश सा
बड़ा ही खामोश सा अँदाज है तुम्हारा….. ? समझ नही आता फिदा हो जाऊँ या फनाह हो जाऊँ….. ~❤?
पहेले लोग बाल्कनी में आने
पहेले लोग बाल्कनी में आने की राह देखते थे, अब ” on line ” आने की देखते है ? !! रिश्ता वही सोच नई
आख़िर तुम भी उस आइने की तरह
आख़िर तुम भी उस आइने की तरह ही निकले, जो भी सामने आया तुम उसी के हो गए.
तन्हाई मैं मुस्कुराना भी इश्क़ है
तन्हाई मैं मुस्कुराना भी इश्क़ है, इस बात को सब से छुपाना भी इश्क़ है, यूँ तो रातों को नींद नही आती, पर रातों को सो कर भी जाग जाना इश्क़ है।