गम ऐ बेगुनाही

गम ऐ बेगुनाही के मारे है,, हमे ना छेडो.. ज़बान खुलेगी तो,, लफ़्ज़ों से लहू टपकेगा.

संभल के चलने का

संभल के चलने का सारा गुरूर टूट गया एक ऐसी बात कही उसने लड़खड़ाते हुए|

सवाल ये नहीं

सवाल ये नहीं रफ्तार किसकी कितनी है … सवाल ये है सलीक़े से कौन चलता है…!!!

ये जरूरी तो नहीं

ये जरूरी तो नहीं कि उम्र भर प्यार के मेले हों हो सकता है कभी हम तुम अकेले हों…

जिंदा रहने पे

जिंदा रहने पे तवज्जो ना कोई मिल पाई.. कत्ल होके मै, एक शहर के अखबार में हूँ..

मोहब्बत ही में

मोहब्बत ही में मिलते हैं शिकायत के मज़े पैहम, मोहब्बत जितनी बढ़ती है शिकायत होती जाती है !!

आखरी हिचकी तेरे

आखरी हिचकी तेरे पहलू में आये मौत भी मैं शायराना चाहता हूँ…

बेच डाला है

बेच डाला है, दिन का हर लम्हा; रात, थोड़ी बहुत हमारी है!

वो जब पास मेरे होगा

वो जब पास मेरे होगा तो शायद कयामत होगी…., अभी तो उसकी शायरी ने ही तवाही मचा रखी है.

तू अकेला है

तू अकेला है, बंद भी है कमरा, अब तो चेहरा उतार कर रख दे

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